हमर बानी हमरे गोठ
माटी के बैला मीठ हे बोल
गोबर मा घर ला लिपटे माई
छेरी चराए बर जाथे मोर दाई
सुवा नाच और राऊत नाचा मा
झूमथे संगी संगवारी गा
सोंढुर पैरी अउ महानदी के
सुर मा गाथे संगवारी हा
तीज तिहार बर का ही बोलव
गेड़ी चढ़थे लइका मन हा
सब सुघ्घर लुगरा पहिन के
मनाथे इहा तिहार ला
ठेठरी खुरमी के तो बात अलग हे
खाथन पपची अइरसा ला
मोर माटी के बात अलग हे
खाथन अंगाकर रोटी ला
बोझा बोझा बोहा के टुकनी
हमर छत्तीसगढ़ के धान ला
मीठ बोली सिखाते मोर संगी
ए छत्तीसगढ़ के माई हा

