देवकर न्यूज* मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या तिथि को लेकर इस वर्ष 19 और 20 नवंबर के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है। अमावस्या पर स्नान, दान और पितृ कर्म का विशेष महत्व होता है, जिसके कारण सही तिथि जानना अत्यंत आवश्यक है।🗓️ अमावस्या तिथि को लेकर क्या है कन्फ्यूजन? पंडित कृष्णा नंदन शर्मा ने बताया पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि इस प्रकार है: * अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 19 नवंबर, 2025 को सुबह 09:43 बजे। * अमावस्या तिथि का समापन: 20 नवंबर, 2025 को दोपहर 12:16 बजे।चूंकि 19 नवंबर को अमावस्या तिथि का प्रारंभ हो रहा है और अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर तक यह तिथि मौजूद है, इसलिए दोनों दिनों को लेकर संशय है। हालांकि, धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार, जिस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होती है, उसी दिन स्नान-दान और पितृ कर्म करना सर्वोत्तम माना जाता है।> 📢 उदया तिथि के अनुसार, अमावस्या 20 नवंबर को है। इसलिए स्नान, दान और पितृ कर्म के लिए 20 नवंबर का दिन अधिक फलदायी माना जा रहा है।> 🙏 मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्वमार्गशीर्ष मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में इस मास के महत्व का बखान किया है। इसलिए इस मास की अमावस्या तिथि पर विशेष पूजा-पाठ की जाती है।यह तिथि विशेष रूप से पितरों के पितृ-कर्म के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।🎁 अमावस्या पर करें ये विशेष दान और कर्मअमावस्या पर किए गए स्नान, दान और पितृ कर्म से पितरों को संतुष्टि मिलती है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।दान के लिए श्रेष्ठ वस्तुएं: * कंबल * गुड़ * घी * तिल और तिल के लड्डू * अन्न (जरूरतमंदों को) * वस्त्र * धनविशेष उपाय और कर्म: * पवित्र स्नान: इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में पितरों के निमित्त स्नान करना चाहिए। * पीपल पूजा: पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध अर्पित करें। शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। (मान्यता है कि पीपल में त्रिदेवों का वास होता है।) * पितृ कर्म: दोपहर के समय पितरों के लिए अग्यारी देकर उन्हें भोजन दिया जाता है और सूर्य को जल अर्पित किया जाता है। * पंचबलि: पितरों के अलावा, गाय, कुत्ता, कौवा और देव आदि के लिए भी भोजन निकालने का विधान है। * भगवान कृष्ण की पूजा: यह मास भगवान कृष्ण को समर्पित है, इसलिए उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए। * नियम: इस दिन घरों में क्लेश से बचें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।अस्वीकरण: इस आलेख में दी गई जानकारियाँ धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।


