बेमेतरा। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष (25वीं वर्षगांठ) के उपलक्ष्य में जिला मुख्यालय बेमेतरा के ऐतिहासिक बेसिक स्कूल मैदान में चल रहे तीन दिवसीय राज्योत्सव का दूसरा दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सराबोर रहा। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति, कला और संगीत की अनूठी छटा देखने को मिली, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।🎶 आरु साहू के गीतों पर झूमा बेमेतराशाम के मुख्य आकर्षण में प्रदेश की लोकप्रिय लोकगायिका आरु साहू ने अपनी मधुर आवाज़ का जादू बिखेरा। उनके प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीतों, जैसे “मोला मया देदे रे मितवा” और “छत्तीसगढ़ हमर मया माटी” की धुनों पर पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट और दर्शकों के उत्साह से गूंज उठा।आरु साहू और उनकी टीम ने लोकवाद्य और पारंपरिक नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर माहौल को पूरी तरह उत्सवमय बना दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने छत्तीसगढ़ की लोक आत्मा और जीवंत परंपराओं की सुंदर झलक पेश की।🌟 सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्यताराज्योत्सव के दूसरे दिन शाम 4 बजे से ही कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई। जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय कलाकारों और विद्यार्थियों को मंच प्रदान किया गया:स्कूली प्रस्तुतियाँ: सरस्वती शिशु मंदिर नवागढ़, सेजेस बेमेतरा, सेजेस नांदघाट, इंडियन पब्लिक स्कूल, नवोदय विद्यालय, और सेजेस साजा जैसे विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने लोकनृत्य, देशभक्ति गीत, और पारंपरिक झांकी प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। इनमें ‘पंछी नृत्य’ और ‘आदिवासी करमा नृत्य’ विशेष रूप से सराहे गए।विशेष कला प्रदर्शन: श्री सनावर खान एवं द्युति साहू ने मनमोहक कथक की प्रस्तुति दी, जिसके बाद इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की टीम ने भी शानदार प्रदर्शन किया।👁️🗨️ उमड़ी दर्शकों की भारी भीड़सांस्कृतिक शाम का आनंद लेने के लिए बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों समेत लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। स्टेज के आसपास उत्साह का माहौल देखने लायक था। नागरिकों ने जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए विभागीय स्टॉलों में विकास की झलक दिखाते प्रदर्शनों को भी बड़ी रुचि से देखा।जिला प्रशासन ने सुरक्षा, यातायात व्यवस्था, साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था का सुव्यवस्थित प्रबंधन किया, जिसकी लोगों ने प्रशंसा की। राज्योत्सव का यह दूसरा दिन बेमेतरा जिले के लिए यादगार बन गया, जिसने यह संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ की माटी में कला और संस्कृति की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है।

