पूरे छत्तीसगढ़ में आस्था और उत्साह का महापर्व देवउठनी एकादशी (देवउठनी ग्यारस) इस वर्ष 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागृत होंगे, जिसके साथ ही राज्य में विवाह, गृह प्रवेश सहित सभी मांगलिक कार्यों पर लगा चातुर्मास का प्रतिबंध समाप्त हो जाएगा।
पंचांग और स्थानीय ज्योतिषियों के अनुसार, एकादशी तिथि दो दिन रहेगी, लेकिन उदया तिथि (सूर्योदय के समय तिथि का होना) के कारण व्रत और मुख्य पूजन 1 नवंबर को ही किया जाएगा।
तिथि और मुहूर्त की सही जानकारी
| विवरण | समय (2025) |
|---|---|
| एकादशी तिथि प्रारंभ | 1 नवंबर, सुबह 09 बजकर 11 मिनट |
| एकादशी तिथि समाप्त | 2 नवंबर, सुबह 07 बजकर 31 मिनट |
| व्रत का दिन | 1 नवंबर 2025, शनिवार |
| पूजा का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल) | शाम 05:36 बजे के बाद (यह भगवान को जगाने का उत्तम समय है) |
| पारण का समय (व्रत खोलने का) | 2 नवंबर, दोपहर 01:11 बजे से शाम 03:23 बजे तक |

🙏 छत्तीसगढ़ में देवउठनी ग्यारस की पूजा विधि
छत्तीसगढ़ में देवउठनी एकादशी को लेकर विशेष परंपराएं हैं:
- चौक पूरना: इस दिन घरों के बाहर और आंगन में चूने और गेरू से सुंदर चौक (रंगोली/अल्पना) बनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु का चित्र उकेरा जाता है।
- देव जागरण: शाम के समय पूजा स्थल पर भगवान विष्णु को सिंहासन या पलंग पर बैठाया जाता है। शंख, घंटा, और थाली बजाकर ‘उठो देव, जागो देव’ के जयकारे लगाए जाते हैं।
- गन्ने का मंडप: भगवान की मूर्ति के ऊपर गन्ने का मंडप बनाया जाता है और उसमें सालिग्राम जी की पूजा की जाती है।
- प्रसाद: इस दिन विशेष रूप से आलू-फल का फलाहार और सिंघाड़ा-शकरकंद का भोग लगाया जाता है।
अगले दिन तुलसी विवाह: एकादशी के ठीक अगले दिन, यानी 2 नवंबर को, छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में श्रद्धापूर्वक तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा, जो विवाह सीजन की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है।

