पर्यावरण संरक्षण और गौवंश के पोषण के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल करते हुए, केशव कुंज गौशाला समिति देवकर ने हाल ही में किसानों के बीच एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेतों में पराली (पैरा) जलाने के गंभीर नुकसानों से अवगत कराना और उन्हें इसका एक सकारात्मक और वैकल्पिक उपयोग सुझाना था—यानी पराली को गौशाला में दान करना।
🌾 पराली जलाने के नुकसान और वैकल्पिक समाधान
समिति ने किसानों को विस्तार से बताया कि पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण का संकट गहराता है, बल्कि इससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता भी कम होती है, जो अंततः खेती और पैदावार को प्रभावित करती है। इसके अलावा, समिति ने किसानों को कानूनी दंड और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में भी सचेत किया।
🐄 गौशाला में दान से दोहरा लाभ
जागरूकता अभियान के दौरान, समिति ने किसानों से भावनात्मक और व्यावहारिक अपील की।
- पर्यावरण सुरक्षा: समिति ने स्पष्ट किया कि पराली को न जलाकर, किसान पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सीधा योगदान दे सकते हैं।
- गौवंश का पोषण: पराली का दान करने से गौशाला में गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था बेहतर होगी, जिससे गायों को पर्याप्त पोषण मिलेगा।
समिति ने किसानों को समझाया कि यह कदम समाज, पर्यावरण और गौवंश—तीनों के हित में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पराली जलाकर प्रदूषण फैलाने के बजाय, इसे गौशाला में दान करना एक जिम्मेदारी भरा और नेक कार्य है।
समिति की अपील: “हम अपने अन्नदाता किसानों से आग्रह करते हैं कि वे अपनी पराली न जलाएं। गौशाला में दान किया गया यह पैरा हमारे गौवंश के लिए जीवनदायी चारा बनेगा। इस छोटे से सहयोग से आप धरती माता और गौमाता, दोनों की सेवा कर सकते हैं।”
केशव कुंज गौशाला समिति का यह अभियान पराली प्रबंधन की दिशा में एक सराहनीय और अनुकरणीय पहल है, जो किसानों को एक सरल और उपयोगी समाधान प्रदान करता है।

