साजा/बेमेतरा: साजा मुख्यालय के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की घोर लापरवाही और लचर व्यवस्था के कारण एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई है। जीवनदायिनी मानी जाने वाली 108 एंबुलेंस पिछले तीन दिनों से पंचर हालत में खड़ी थी, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। इस गंभीर अनदेखी का खामियाजा मंगलवार की सुबह एक मरीज को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा।
समय पर एंबुलेंस नहीं मिली, दम तोड़ा मरीज ने
मंगलवार सुबह करीब 6 बजे ग्राम डोंगी तराई निवासी मरीज भुवन वर्मा को चिकित्सकों ने बेहतर उपचार के लिए अन्यत्र रेफर किया था। परिजनों ने तुरंत 108 एंबुलेंस को बुलाने का प्रयास किया, लेकिन पता चला कि यह महत्वपूर्ण वाहन पिछले तीन दिनों से पंचर हालत में खड़ा है और उसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। एंबुलेंस की सुविधा न मिल पाने के कारण मरीज को समय पर बड़े अस्पताल नहीं ले जाया जा सका, जिसके परिणामस्वरूप भुवन वर्मा ने अस्पताल में ही अंतिम सांस ली।
निजी वाहनों की मनमानी और सरकारी योजना को पलीता
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह उठता है कि तीन दिनों तक 108 जैसी महत्वपूर्ण जन सुविधा से जुड़ी एंबुलेंस का पंचर क्यों नहीं बन पाया? क्या यह जानबूझकर की गई लापरवाही है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि साजा सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में निजी वाहन मालिकों की मनमानी चल रही है और वे लाभ कमाने के चक्कर में जानबूझकर सरकारी योजना 108 को पलीता लगा रहे हैं, ताकि मजबूर मरीजों को उनके महंगे निजी वाहनों का इस्तेमाल करना पड़े।
इस घटना ने साफ कर दिया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किस कदर लोगों की जान ले रही है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए और लापरवाह अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी हृदय विदारक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जिम्मेदार कौन? – प्रशासन दे जवाब!
आखिर 108 एंबुलेंस को समय पर सेवा योग्य न बनाने का जिम्मेदार कौन है? क्या यह सिर्फ तकनीकी खराबी है या फिर निजी स्वार्थों के चलते सरकारी योजना को विफल करने की साजिश? प्रशासन को मृत मरीज के परिजनों को न्याय दिलाना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य केंद्र में आपातकालीन सेवाएं हमेशा दुरुस्त रहें।
