छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने के सरकार के दावे पर गहरा संकट मंडरा रहा है। राज्य के 2,739 धान खरीदी केंद्रों के 15,000 से अधिक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिससे खरीदी का काम प्रभावित होना तय है।
शासन का दावा (सहकारिता विभाग सचिव सी.आर. प्रसन्ना) भास्कर की पड़ताल में हकीकतवैकल्पिक व्यवस्था अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को केंद्रों पर लगाया जाएगा। गुरुवार को ट्रेनिंग दी जाएगी। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में वैकल्पिक व्यवस्था 10 दिन में संभव नहीं है।खरीदी की शुरुआत निर्धारित समय पर धान खरीदी शुरू हो जाएगी। वैकल्पिक कर्मचारियों के साथ धान की खरीदी संभव नहीं है।आगे की रणनीति कलेक्टरों को वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। 14 नवंबर की कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों की हड़ताल पर निर्णय हो सकता है।
🌾 धान खरीदी सिस्टम और कर्मचारियों की प्रमुख चिंताएँ धान खरीदी का पूरा सिस्टम और कर्मचारियों की हड़ताल के मुख्य कारण, खासकर ‘सूखत’ (नमी घटने) का मुद्दा, इस प्रकार है:
1. नमी (17%) का खतरा और ‘सूखत’ का मामला नियम: किसानों से धान तभी खरीदी जाती है जब उसमें नमी की मात्रा 17% तक हो।समस्या: धान का उठाव (गोदाम तक परिवहन) समय पर नहीं होने के कारण धान सूख जाता है और नमी घटकर 12% से 14% तक रह जाती है, जिससे वजन में कमी आती है। इसे ही ‘सूखत’ या ‘गबन/घोटाला’ कहा जाता है।ज़िम्मेदारी: इस कमी के लिए समिति प्रबंधक, ऑपरेटर समेत कर्मचारियों को दोषी माना जाता है।दंड: कर्मचारियों से प्रति क्विंटल ₹3100 की दर से वसूली की जाती है। इस मामले में 25 से अधिक कर्मचारी जेल में बंद हैं और 500 से ज्यादा कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।मांग: कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग दो साल की सूखत की राशि है और सरकार से 72 घंटे में धान उठाव की गारंटी।
2. वेतन और अन्य कर्मचारी ऑपरेटर्स का वेतन: खरीदी केंद्रों में कार्यरत ऑपरेटर्स को केवल 6 महीने का वेतन दिया जाता है, जबकि वे लंबे समय से काम कर रहे हैं। वे सालभर वेतन की मांग कर रहे हैं।हड़ताल में शामिल: समिति प्रबंधक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, दैनिक कर्मचारी, लेखापाल, सेल्समेन, चौकीदार, चपरासी आदि।
3. उठाव का नियम छोटी समितियों में 5000 से 7500 क्विंटल तक धान की खरीदी नहीं होने तक धान का उठाव नहीं होता है। समय पर उठाव न होने से ‘सूखत’ की समस्या और बढ़ जाती है।

